5 घंटे पहलेलेखक: अभय पांडेय
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रेखा का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को चेन्नई में हुआ था।
‘खूबसूरत’ अदाकारा रेखा आज 71 साल की हो चुकी हैं। उन्होंने 50 से ज्यादा सालों में अपने दमदार अभिनय, ट्रेंडसेटर स्टाइल और चार्मिंग पर्सनैलिटी से इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई। ‘उमराव जान’, ‘खून भरी मांग’, ‘सिलसिला’, ‘खूबसूरत’ और कई अन्य फिल्मों में उनकी अदाएं लाखों लोगों के दिलों को छू गईं। हालांकि, ये आला मुकाम हासिल करना उनके लिए आसान नहीं था।
कभी रेखा को बढ़े वजन को लेकर ताने मिले, कभी शशि कपूर ने काली- मोटी कहा, लेकिन आज इन्हीं रेखा की खूबसूरती पर एकेडमिक कोर्स करवाया जाता है। आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर पढ़िए कैसे रेखा ने संघर्षों को पीछे छोड़ पलट दी किस्मत-
बचपन के संघर्ष की कहानी
रेखा का असली नाम भानुरेखा गणेशन है। उनके पिता साउथ एक्टर जेमिनी गणेशन और मां एक्ट्रेस पुष्पावली थीं। रेखा का जन्म तब हुआ जब उनके माता-पिता शादीशुदा नहीं थे। जेमिनी गणेशन पहले से शादीशुदा थे और उनके कई बच्चे थे।
पुष्पावली की भी पिछली शादी से दो बच्चे थे। तलाक की मान्यता न होने के चलते दोनों कभी शादी नहीं कर सके। यही वजह रही कि जेमिनी गणेशन ने रेखा को नहीं अपनाया और न ही उन्हें अपना नाम दिया।
रेखा की छोटी बहन के जन्म के बाद जेमिनी गणेशन ने तीसरी शादी कर ली और परिवार से संबंध लगभग खत्म कर दिए। ऐसे में मां ने छोटे-मोटे रोल कर बच्चों की परवरिश की।

रेखा की मां पुष्पावली ने ‘बगला नागम्मा’ और ‘मिस मालिनी’ जैसी फिल्मों में काम किया।
पारिवारिक संघर्ष के बाद रेखा को शुरुआती पढ़ाई में भी कई तकलीफों का सामना करना पड़ा। बढ़े वजन के चलते उनका खूब मजाक उड़ाया जाता था, यही वजह रही कि डांस और खेल में रुचि होने के बावजूद झिझकती रहीं।
फिल्मों की बात करें तो रेखा ने मात्र 3 साल की उम्र से एक्टिंग करनी शुरू कर दी थी। वह कभी भी एक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थीं, लेकिन परिवार के हालात खराब थे और मां की हिदायत पर उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया।

जब वह केवल 4 साल की थीं, तो चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर पहली बार तेलुगु फिल्म इंटि गुत्तु (1958) में नजर आईं। इसके बाद उन्होंने 1968 में आई तेलुगु फिल्म रंगुला रत्नम में भी एक्टिंग की।
हिंदी सिनेमा में पहचान बनाने का संघर्ष
रेखा की बॉलीवुड फिल्मों में एंट्री की बात करें तो प्रोड्यूसर कुलजीत पाल अपनी फिल्म की हीरोइन की तलाश में थे। किसी ने उन्हें बताया कि साउथ में एक रेखा नाम की एक्ट्रेस है, जो थोड़ी बहुत हिंदी बोल लेती है। इसके बाद कुलजीत पाल ने रेखा से मुलाकात की और पूछा कि क्या वह फिल्म में काम करना चाहती हैं और हिंदी बोल सकती हैं? इन दोनों सवालों के जवाब में रेखा ने ना कहा था।
हालांकि, इसके बावजूद कुलजीत पाल ने कहा कि कल ऑडिशन के लिए आ जाओ। रेखा ने स्क्रीन टेस्ट में हिंदी के कुछ वाक्य अच्छी तरह से याद कर सुनाए, जिससे पाल इंप्रेस हो गए और उनके साथ 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया, जिसमें चार फिल्में करनी थीं। इस तरह रेखा को उनकी पहली फिल्म अनजाना सफर के लिए सिलेक्ट किया गया।
इस तरह रेखा मात्र 13–14 साल की उम्र में मुंबई, माया नगरी पहुंचीं और अपनी पहली फिल्म की शूटिंग शरू की।
हालांकि, बॉलीवुड में उनका यह सफर इतना आसान नहीं था। उनके रंग, वजन और टूटी-फूटी हिंदी पर कई बार ताने मारे गए। कई लोग तो उन्हें ‘मद्रासन’ (दक्षिण भारतीय लड़की) कहकर चिढ़ाते थे।
रेखा की पहली हिंदी फिल्म अंजाना सफर थी, लेकिन सेंसरशिप की समस्याओं के कारण इसे दो शिकार के नाम से दस साल बाद रिलीज किया गया। इसलिए उनकी पहली रिलीज हिंदी फिल्म सावन भादों (1970) रही थी।
रेखा पर बायोग्राफी लिखने वाले यासिर उस्मान अपनी किताब में लिखते हैं, फिल्म सावन भादों के प्रीमियर के दौरान शशि कपूर ने कहा था,“इतनी काली, मोटी और अजीब दिखने वाली यह एक्ट्रेस कैसे सफल होगी?”
हालांकि, ये फिल्म हिट साबित हुई और इससे रेखा को रातोंरात पहचान मिल गई।

इसके बाद रेखा ने रामपुर का लक्ष्मण (1972), कहानी किस्मत की (1973) और प्राण जाए पर वचन न जाए (1974) जैसी फिल्मों में काम किया। ये फिल्में हिट रहीं, लेकिन उनकी एक्टिंग को ज्यादा सराहना नहीं मिली।
फिर 1976 में दो अनजाने और 1978 में घर और मुकद्दर का सिकंदर जैसी फिल्मों में क्रिटिक्स ने भी उनकी एक्टिंग की तारीफ की।
इसके बाद फिल्म खूबसूरत (1980) के लिए उन्हें पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। उन्होंने सिलसिला (1981), उमराव जान (1981) और इजाजत (1987) जैसी फिल्मों में भी शानदार एक्टिंग की। उमराव जान के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला।

1990 के दशक में उनके रोल कम होते गए, लेकिन खून भरी मांग (1988) और खिलाड़ियों का खिलाड़ी (1996) में उनकी अदाकारी की तारीफ हुई। 2000 के दशक के बाद वे मां और सपोर्टिंग रोल में नजर आईं, जैसे कोई… मिल गया (2003) और कृष (2006)। वहीं, रेखा की आखिरी तीन फिल्मों में सदियां (2010), कृष 3 (2013) – किरदार: सोनिया मेहरा और सुपर नानी (2014) शामिल हैं।
रेखा की पर्सनल लाइफ चर्चा में रही
रेखा की गिनती उन एक्ट्रेस में होती है जिनका फिल्मी करियर जितना चर्चित था, उतनी ही उनकी पर्सनल लाइफ भी चर्चा में रही। 1971 में रेखा को फिल्म एक बेचारा में जीतेंद्र के साथ साइन किया गया। जीतेंद्र उस वक्त कुंवारे थे और अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे। दोनों के अफेयर की खबरें सामने आईं। शिमला में शूटिंग के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और मुंबई लौटने के बाद यह रिश्ता और गहरा गया।
फिल्म एक बेचारा की कामयाबी के बाद दोनों ने फिल्म अनोखी अदा भी साइन की, लेकिन कहानी में मोड़ तब आया जब रेखा को पता चला कि जीतेंद्र की पहले से एक गर्लफ्रेंड शोभा हैं।

रेखा और जितेंद्र ने ‘एक बेचारा’, ‘मांग भरो सजना’ और ‘जुदाई’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया है।
रेखा के लिए यह झटका था। दिल टूटने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि जीतेंद्र के लिए यह रिश्ता सिर्फ टाइमपास था। फिल्म की शूटिंग के दौरान उनके झगड़े इतने बढ़ गए कि सेट पर सबके सामने बातें होने लगीं। एक दिन जीतेंद्र की कोई टिप्पणी सुनकर रेखा फूट-फूटकर रो पड़ीं और उनके बीच बातचीत बंद हो गई। फिल्म किसी तरह पूरी हुई और ये रिश्ता खत्म हो गया।
विनोद मेहरा से रेखा का रिश्ता चर्चा में रहा
जीतेंद्र के बाद रेखा की जिंदगी में विनोद मेहरा आए। दोनों अक्सर एक साथ हाथों में हाथ डाले, लंबी ड्राइव्स पर और देर रात ताज होटल में डिनर करते हुए देखे जाते थे। रेखा प्यार से उन्हें ‘विन-विन’ बुलाती थीं। रेखा के लिए विनोद मेहरा वह इंसान थे, जिन्होंने उन्हें बिना शर्त चाहा। उन्होंने रेखा के विवादों और मीडिया की नकारात्मक छवि के बावजूद उनका साथ दिया, लेकिन विनोद की मां, कमला दोनों के रिश्ते के खिलाफ थीं। उनके लिए रेखा खराब पास्ट और सेक्स मैनिएक की छवि वाली एक “बदनाम” अभिनेत्री थीं, जो बहू बनने लायक नहीं थीं। ये बात खुद रेखा ने रेखाः द अनटोल्ड स्टोरी में कही थी।
बुक में राइटर यासिर उस्मान ने लिखा, रेखा ने विनोद की मां का दिल जीतने की कोशिश की। वह विनोद के घर जाकर उनकी मां के लिए फिश करी बनातीं, बहन के साथ वक्त बितातीं, लेकिन कमला ने उन्हें नहीं अपनाया।

रेखा और विनोद मेहरा ने ‘घर’, ‘बिंदिया चमकेगी’, ‘प्यार की जीत’, ‘ऐलान’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया है।
कुछ महीनों बाद विनोद ने मां की मर्जी के खिलाफ गुपचुप तरीके से रेखा से शादी कर ली। शादी कलकत्ता के एक मंदिर में हुई। पर जब वे मुंबई लौटे और रेखा ने सास के पैर छूने की कोशिश की थी, तो कमला ने उन्हें धक्का देकर घर में घुसने से रोक दिया। रेखा अपमानित होकर रोती हुई वहां से चली गईं।
सालों तक यही कहानी सुर्खियों में रही, लेकिन फिर 2004 में रेखा ने इंटरव्यू में ये कहते हुए हर किसी को हैरान कर दिया कि उन्होंने कभी विनोद मेहरा से शादी नहीं की, वे सिर्फ अच्छे दोस्त थे।
विनोद मेहरा के बाद रेखा की मुलाकात एक्टर किरण कुमार से हुई, जो उस वक्त उनकी दोस्त योगिता बाली के बॉयफ्रेंड हुआ करते थे। योगिता अक्सर रेखा से सलाह लिया करती थीं, लेकिन वक्त के साथ खबरें आने लगीं कि किरण कुमार और रेखा के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं।
किरण कुमार के साथ भी रेखा का नाम जुड़ा
रेखा और किरण की जोड़ी अक्सर पार्टियों में साथ दिखाई देती थी। रेखा उन्हें प्यार से ‘किन-किन’ बुलाती थीं, लेकिन यह रिश्ता उनके करियर को नुकसान पहुंचाने लगा। रेखा का शूटिंग पर देर से पहुंचना या बीच में गायब हो जाना आम हो गया। एक बार फिल्म ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग के दौरान वे अचानक मुंबई लौट आईं क्योंकि उन्हें ;किन-किन; की याद आ रही थी।

रेखा और किरण कुमार ने साथ में किसी बड़ी फिल्म में अभिनय नहीं किया है।
प्रोड्यूसर और डायरेक्टर उनके गैर-पेशेवर रवैये से परेशान रहने लगे। वहीं, किरण के पिता और दिग्गज अभिनेता जीवन इस रिश्ते के खिलाफ थे। उन्हें लगता था कि रेखा जैसी ‘विवादित’ बैकग्राउंड वाली महिला उनके घर की बहू नहीं बन सकती। किरण ने भी अपने पिता के आगे झुकने का फैसला किया और रेखा से दूरी बना ली।
जया को रेखा प्यार से ‘दीदीभाई’ कहती थीं
रेखा ने अपनी शुरुआती कुछ फिल्मों की सफलता के बाद 1972 में मुंबई में अपना फ्लैट खरीदा। इससे पहले तक वो सिर्फ शूटिंग के लिए मुंबई आती थीं और होटल में ठहरती थीं, लेकिन 1972 में वो होटल अजंता छोड़कर जुहू के बीच अपार्टमेंट में शिफ्ट हुई। इसी अपार्टमेंट में उस समय जया भादुड़ी भी रहती थीं। अपार्टमेंट्स में रहते हुए रेखा और जया अक्सर मिलती थीं। रेखा जया को प्यार से ‘दीदीभाई’ कहती थीं और अक्सर उनके फ्लैट पर जाती थीं। वहीं, रेखा की जया के बॉयफ्रेंड अमिताभ बच्चन से भी पहली मुलाकात हुई।
1973 में जया और अमिताभ की फिल्म ‘जंजीर’ रिलीज हुई, जिसने अमिताभ को ‘एंग्री यंग मैन’ के रूप में स्थापित किया। इसके बाद जया और अमिताभ ने शादी करने का फैसला किया। 3 जून 1973 को उनकी शादी हुई, लेकिन रेखा को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया। रेखा ने इसे लेकर नाराजगी जताई और कहा कि जया ने कभी भी उन्हें वास्तविक बहन की तरह नहीं माना।

अमिताभ बच्चन और रेखा ने अलाप, खून पसीना, गंगा की सौगंध, मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवरलाल, सुहाग, सिलसिला जैसी फिल्मों में साथ काम किया है।
अमिताभ और रेखा ने पहली बार फिल्म दो अनजाने में स्क्रीन शेयर की थी। फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ की पंक्चुएलिटी और प्रोफेशनलिज्म से रेखा प्रभावित हुईं। रेखा ने पहली बार गंभीरता से अपने रोल को समझना शुरू किया और समय पर सेट पर आने लगीं और साथ ही भाषा, एक्टिंग और अपनी फिजीक पर खास तवज्जो देने लगीं। इस समय उन्होंने खूब वजन घटाया था। उन्होंने लंदन में मेकअप कोर्स किया और मीना कुमारी के मेकअप आर्टिस्ट राम दादा को भी हायर किया।
फिल्म दो अनजाने का एक हिस्सा कोलकाता में शूट हुआ, जहां रेखा और अमिताभ अक्सर फ्लोरीज टी रूम पर जाते, पार्क स्ट्रीट पर घूमते और खाने-पीने के लिए बाहर जाते।
इस दौरान रेखा और अमिताभ के कथित रिश्तों की खबरें मीडिया में आने लगीं। इस समय दोनों ने अलाप, खून पसीना जैसी फिल्में कीं। रेखा और अमिताभ की रियल-लाइफ रोमांस की अफवाहों ने उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को और भी दिलचस्प बना दिया।
ठीक इसी समय रेखा की फिल्म घर रिलीज हुई, जिसमें उनके को-स्टार उनके कथित एक्स बॉयफ्रेंड विनोद मेहरा थे। रेखा ने अपनी बायोग्राफी में बताया है कि उन्होंने विनोद के साथ रोमांटिक सीन इतने प्रभावशाली ढंग से इसलिए किया क्योंकि उस समय वे अपने दिमाग में अमिताभ की कल्पना करती थीं।
इसी समय फिल्म मुकद्दर का सिकंदर (1978) में रेखा ने जोहराबाई नामक एक वेश्या का किरदार निभाया था। हालांकि वे फिल्म में लीड रोल में नहीं थीं, फिर भी अमिताभ बच्चन के साथ उनकी केमिस्ट्री दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाई।

मुकद्दर का सिकंदर को प्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया था।
रेखा ने बताया था कि फिल्म मुकद्दर का सिकंदर के ट्रायल शो के दौरान उन्होंने जया बच्चन को उनके (रेखा) और अमिताभ के लव सीन देखकर रोते हुए देखा था। मीडिया में अफवाहें फैल गईं कि जया ने अमिताभ पर रेखा के साथ काम न करने का दबाव डाला।
रेखा ने फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में खुलकर इस बात का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि अमिताभ ने उन्हें दो अंगूठियां दी थीं, जिन्हें वह हमेशा पहनती थीं। जब अमिताभ ने उनके साथ काम करना बंद कर दिया, तो रेखा ने उन अंगूठियों को लौटाकर उनके साथ अपना रिश्ता खत्म कर दिया।
1982-83 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी बैंगलोर में इमरजेंसी सर्जरी हुई, फिर मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक जाहिर कारण के चलते जया नहीं चाहती थीं कि रेखा अस्पताल आएं, जबकि उस समय इंदिरा गांधी भी उनसे मिलने पहुंची थीं।
इस समय रिपोर्ट्स रहीं कि रेखा ने फिल्ममेकर प्रकाश मेहरा से विनती की कि वो जया को उनके अस्पताल आने के लिए मनाएं, लेकिन नतीजे निराशाजनक रहे। मूवी नाम की मैगजीन के अनुसार, अमिताभ को एक नजर देखने भर के लिए रेखा एक रोज तड़के सुबह अस्पताल पहुंच गईं।
न चेहरे पर कोई मेकअप था, न कोई साज-सज्जा। वो अस्पताल आ ही गईं तो जया को भी मानना पड़ा, लेकिन रेखा ने इस समय मर्यादा बनाए रखी और कमरे में न जाते हुए सिर्फ चंद सेकेंड कमरे के दरवाजे के बाहर खड़े रहकर मौन प्रार्थना की और लौट गईं।

रेखा और जया बच्चन फिल्म ‘सिलसिला’ (1981) में साथ नजर आई थीं।
खबरें ये भी रहीं कि रेखा इस समय बेहद धार्मिक हो गईं। उन्होंने महाकालेश्वर में जप करवाया और नंगे पांव तिरुपति मंदिर के दर्शन किए।
अमिताभ लंबे इलाज के बाद रिकवर करने लगे, लेकिन इस बीच उन्होंने पत्नी जया को अपने ज्यादा नजदीक पाया। उस समय गॉसिप मैगजीन में यह भी छपा कि पत्नी के लिए अमिताभ खुद नहीं चाहते थे कि रेखा उनके आसपास रहें।
रेखा ने फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में अमिताभ के साथ रिश्ते को लेकर कहा था, “उन्होंने ऐसा अपनी इमेज, परिवार और बच्चों की सुरक्षा के लिए किया। जनता को क्यों पता होना चाहिए कि मैं उन्हें प्यार करती हूं या वह मुझे प्यार करते हैं? मैं उन्हें प्यार करती हूं और वह मुझे, बस इतना ही!”
इस तरह रेखा की जिंदगी से अमिताभ भी दूर हो गए। फिर रेखा की जिंदगी में मुकेश अग्रवाल एक फैन के रूप में नई उम्मीद बनकर आए, जिनसे 1990 में रेखा ने शादी की। दरअसल, मुकेश अग्रवाल का उठना-बैठना फिल्मी हस्तियों के साथ था, वो अक्सर बड़े-बड़े फिल्मी सितारों से मिलने की लालसा रखते थे, जिनमें रेखा का नाम भी शामिल था।
एक रोज फैशन डिजाइनर बीना रमानी ने रेखा से कहा कि दिल्ली में उनका एक दीवाना फैन मुकेश अग्रवाल है। रेखा ने पहले बात करने से इनकार किया, लेकिन बाद में खुद मुकेश को फोन किया। धीरे-धीरे दोनों में बातें बढ़ीं और फिर मुलाकातें भी होने लगीं।
मुकेश, रेखा की सुंदरता और आवाज के दीवाने हो गए। वहीं, रेखा को उनकी सादगी और ईमानदारी ने आकर्षित किया। कुछ ही हफ्तों में, 4 मार्च 1990 को दोनों ने अचानक मुंबई के एक मंदिर में शादी कर ली।
शुरुआत में सब कुछ परफेक्ट लग रहा था। दोनों हनीमून के लिए लंदन गए, लेकिन कुछ ही दिनों में रेखा को एहसास हुआ कि मुकेश बहुत अलग इंसान हैं। वे डिप्रेशन से जूझ रहे थे और कई दवाइयां लेते थे। इसके बावजूद रेखा ने शादी को सफल बनाने की कोशिश की।
बिजनेस घाटे में जाने से मुकेश और ज्यादा परेशान रहने लगे, जिससे दोनों में खूब झगड़े होते। रेखा ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी और मुंबई लौट आईं।

रेखा के पति मुकेश अग्रवाल किचनवेयर ब्रांड ‘हॉटलाइन’ के मालिक थे।
मुकेश, रेखा से मिलने की कोशिशें करते रहे, पर रेखा ने उनसे बात करना बंद कर दिया। उनके लिए यह रिश्ता अब खत्म हो चुका था। 10 सितंबर 1990 को जब मुकेश ने रेखा को फोन किया, तो दोनों ने बात की और आपसी सहमति से तलाक लेने का निर्णय लिया। शादी को सिर्फ छह महीने ही हुए थे। 26 सितंबर को रेखा एक स्टेज शो के लिए अमेरिका चली गईं और मुकेश ने 2 अक्टूबर 1990 को अपने फार्महाउस में जाकर फांसी लगा ली।
रेखा न्यूयॉर्क में थीं, तभी उन्हें मुकेश की मौत की खबर मिली। वह उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुईं।
मुकेश की सुसाइड की खबर मीडिया में सनसनीखेज तरीके से छपी। जाहिर तौर पर लोगों ने रेखा को दोषी ठहराया। उनके पोस्टर काले किए गए, कुछ जगहों पर गोबर तक फेंका गया।
रेखा पर लिखी बायोग्राफी ‘रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी’ के अनुसार मुकेश की मां ने कहा था, “वो डायन मेरे बेटे को खा गई, भगवान इसे कभी माफ नहीं करेंगे।”
इसी समय फिल्ममेकर सुभाष घई ने कहा था, “रेखा ने फिल्म इंडस्ट्री के चेहरे पर ऐसा दाग लगा दिया है कि इसे आसानी से साफ करना मुश्किल होगा। अब कोई सम्मानित परिवार कभी भी किसी एक्ट्रेस को बहू बनाने से पहले सोचेगा।”
एक्टर अनुपम खेर ने कहा था, “वे अब नेशनल लेवल की वैंप बन गई हैं। प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों तौर पर, उनके लिए मुश्किल समय है। मुझे नहीं पता कि अगर मैं उनसे आमने-सामने मिला तो मैं कैसे रिएक्ट करूंगा।”
निजी जिंदगी की उथल-पुथल का असर रेखा के करियर पर भी पड़ा। उनकी मेरा पति सिर्फ मेरा है और अमीरी गरीबी जैसी फिल्में फ्लॉप रहीं। हालांकि, साल 1991 में उन्होंने फूल बने अंगारे से दमदार कमबैक किया, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर नॉमिनेशन भी मिला।
इसके साथ ही उन्हें फीमेल ओरिएंटेड फिल्मों में लिया जाने लगा। हालांकि, बदलते दौर के साथ रेखा फिल्म लज्जा और कोई मिल गया जैसी फिल्मों में साइड रोल में दिखने लगीं।

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