48 मिनट पहले
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विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द बंगाल फाइल्स 5 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई । यह फिल्म कहीं भी आधिकारिक रूप से बैन नहीं की गई है, लेकिन पश्चिम बंगाल में कई सिनेमाघरों ने इसे दिखाने से मना कर दिया है। इस पर अब फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि फिल्म पर अनौपचारिक रूप से लगाया गया बैन गलत है।
FWICE का कहना है, यह हैरानी की बात है कि एक फिल्म, जिसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से मंजूरी मिली है, उसे इस तरह के अनौपचारिक प्रतिबंध का सामना करना पड़ रहा है।ऐसे काम चाहे सीधे तौर पर किए जाएं या छुपकर हमारे संविधान में दी गई बोलने और अपनी बात कहने की आजादी को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे उन फिल्म बनाने वालों की मेहनत और आजादी पर भी असर पड़ता है, जो अपने काम से समाज के लिए जरूरी कहानियां दिखाते हैं। अगर किसी फिल्म को बिना किसी सरकारी आदेश या कानूनी वजह के रोका जाता है, तो यह सिर्फ गलत नहीं है, बल्कि इससे आगे चलकर फिल्मों को लेकर एक खतरनाक मिसाल बन सकती है।

FWICE ने कहा कि पश्चिम बंगाल के सिनेमाघर के मालिक बिना किसी लिखित आदेश के इस बैन का पालन कर रहे हैं। ऐसा करने से वे नई और अलग कहानियां बताने वालों को रोक रहे हैं और साथ ही लोगों से उनकी पसंद की फिल्म देखने का अधिकार छीन रहे हैं। इसके साथ ही FWICE से सरकार अपील करते हुए कहा कि वह इस बैन को तुरंत ध्यान में ले और पूरी कोशिश करे कि यह फिल्म बिना किसी रोक-टोक या परेशानी के पूरे पश्चिम बंगाल में दिखाई जाए।
यह फिल्म फिल्मकारों की बड़ी मेहनत, निवेश और कला का परिणाम है और दर्शकों को इसे बिना किसी रोक-टोक के देखने का पूरा अधिकार मिलता है। हम बंगाल फाइल्स के निर्माताओं के साथ खड़े हैं और पूरे देश के सभी निर्माता संगठनों से भी अपील करते हैं कि वे इस गैर-कानूनी प्रतिबंध के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं।

बता दें, बंगाल फाइल्स में मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, अनुपम खेर और दर्शन कुमार ने अहम किरदार निभाया है। तेज नारायण अग्रवाल और आई एम बुद्धा प्रॉडक्शंस द्वारा पेश की गई यह फिल्म विवेक की फाइल्स ट्रिओलोजी का हिस्सा है, जिसमें द कश्मीर फाइल्स और द ताशकंद फाइल्स भी शामिल हैं।