35 मिनट पहलेलेखक: अभय पांडेय
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राकेश रोशन के पिता रोशनलाल नागरथ मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर थे। उन्हीं के नाम को राकेश ने सरनेम बनाया।
राकेश रोशन एक ऐसा नाम हैं, जिनकी पहचान कई लोगों के लिए सुपरस्टार ऋतिक रोशन के पिता के रूप में है। हालांकि, उनकी असल पहचान सिर्फ इतनी नहीं है। वे बेहतरीन एक्टर, शानदार प्रोड्यूसर और ब्लॉकबस्टर डायरेक्टर भी हैं।
एक्टर के रूप में उन्हें खास सफलता नहीं मिली, लेकिन बतौर डायरेक्टर उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में दीं। इनमें ‘खून भरी मांग’, ‘करण अर्जुन’, ‘कहो ना… प्यार है’ और ‘कृष’ जैसी फिल्में शामिल हैं। हुनर की बदौलत कभी गैराज में जन्म लेने वाले राकेश आज करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं।
आज राकेश रोशन के बर्थडे के खास मौके पर आइए उनकी जिंदगी को करीब से छूते हैं-
राकेश रोशन का जन्म एक गैराज में हुआ था
राकेश रोशन का जन्म 6 सितंबर 1949 को हुआ। उनके पिता रोशनलाल नागरथ प्रसिद्ध संगीतकार थे। उनकी मां इरा मोइत्रा बंगाली गायिका थीं। राकेश के परिवार में उनके छोटे भाई राजेश रोशन भी हैं, जो एक जाने-माने संगीतकार हैं।

राकेश के छोटे भाई राजेश ने फिल्म ‘जूली’ से डेब्यू किया और ‘कहो ना… प्यार है’, ‘कोई मिल गया’, ‘कृष’ जैसी फिल्मों के लिए संगीत दिया।
बता दें कि जब राकेश का जन्म हुआ था उस समय उनके पिता म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे।
राकेश ने जिंदगी के शुरुआती दिनों को लेकर मिड डे के इंटरव्यू में कहा था, “मैं बंबई में पैदा हुआ। मेरा जन्म एक बड़े म्यूजिक डायरेक्टर हुस्नलाल भागतराम के गैराज में हुआ था। मेरे पिता दिल्ली से मुंबई आए थे और वहां गैराज में रहते थे। इसलिए मेरा जन्म उसी गैराज में हुआ था। जब मेरे पिता को काम मिलने लगा, तो हम सांताक्रूज शिफ्ट हो गए। मेरा बचपन वहीं बीता था।”
राकेश जब 17 साल के थे, उस समय उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद परिवार को सहारा देने के लिए उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम शुरू किया।

राकेश रोशन ने एच.एस. रवैल और मोहन कुमार जैसे दिग्गजों के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया है।
राकेश रोशन जब काम की तलाश में किसी प्रोड्यूसर से मिलने जाते तो कहते – “मैं रोशन का बेटा हूं।” जिनके बाद उन्हें बहुत इज्जत मिलती थी और उनको अंदर बुला लिया जाता था।

राकेश रोशन ने अपना सरनेम नागरथ से रोशन कर लिया था और इसका कारण यह था कि फिल्ममेकर उन्हें रोशन के बेटे के रूप में पहचानें।
बिल चुकाने के लिए दोस्तों से उधार लिया
राकेश रोशन की जिंदगी में ऐसा समय भी आया जब काम कम होने के कारण उनका परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया था।
फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में राकेश ने बताया था कि उनकी पत्नी एक संपन्न परिवार से थीं। वो उनके दो कमरे के अपार्टमेंट में ले आए थे, लेकिन उन्होंने उनकी मुश्किलें समझीं। सब धैर्य से सब झेला और कभी मांग नहीं की।
नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री रोशंस में राकेश ने बताया था कि कई बार उन्हें बिल चुकाने के लिए दोस्तों से पैसे उधार लेने पड़ते थे।
राकेश रोशन ने अपने करियर की शुरुआत फिल्मों में सपोर्टिंग एक्टर के रूप में की थी। उनकी पहली फिल्म ‘घर घर की कहानी’ थी। उन्होंने 1970 और 1980 के दशक में 84 फिल्मों में काम किया।
हालांकि, एक्टिंग का सफर आसान नहीं था। राकेश को काम नहीं मिलता तो वे रोज पांच प्रोड्यूसर को फोन करके कहते थे – “अंकल, मुझे काम दे दो।”
कभी छोटा रोल मिल जाता, तो वे उसे भी निभा लेते। छुट्टियों में वे परिवार को घुमाने नहीं ले जाते क्योंकि इंडस्ट्री से गायब नहीं होना चाहते थे।

राकेश को लीड रोल के रूप में ज्यादा मौके नहीं मिले। उन्होंने ज्यादातर सपोर्टिंग रोल्स निभाए। उनके कुछ प्रमुख सपोर्टिंग रोल्स में ‘मन मंदिर’, ‘खेल खेल में’, ‘बुलेट’, ‘धोंगी’, ‘खानदान’, और ‘नीयत’ शामिल हैं।
कुछ फिल्में थीं, जिनमें उन्हें मुख्य भूमिका मिली। इनमें ‘पराया धन’, ‘आंख मिचौली’, ‘खूबसूरत’ और ‘कामचोर’ शामिल हैं।
फिल्म ‘प्रियतमा’ में राकेश रोशन को लीड रोल मिला था
1977 की फिल्म ‘प्रियतमा’ से राकेश को बड़ा ब्रेक मिलने वाला था। उन्हें लगा था कि इस फिल्म के बाद उनका अच्छा समय शुरू होगा, लेकिन आखिरी समय में उनको लीड रोल से रिप्लेस कर दिया गया। डिस्ट्रीब्यूटर और हीरोइन का मानना था कि अगर वह फिल्म में होंगे तो फिल्म नहीं चलेगी।
राकेश ने बताया था कि बाद में उस फिल्म में उन्हें गुड्डू का रोल मिला, लेकिन वो बहुत हर्ट हुए थे और छत पर जाकर भगवान को कोसते हुए कहा था, “क्यों मेरे साथ ऐसा कर रहे हो? मैं तो इतनी मेहनत कर रहा हूं।”
राकेश ने यही भावनाएं अपनी फिल्म ‘कोई… मिल गया’ में फिल्माईं। इसमें ऋतिक का किरदार रोहित मेहरा भी ऐसे ही शब्दों में भगवान से सवाल करता है।
जब फिल्मों में उन्हें एक्टर के रूप में काम नहीं मिल रहा था तो राकेश को लगा कि जब फिल्में बनाने वाले प्रोड्यूसर काम के लिए उनका फोन नहीं उठाते, तो क्यों न वे खुद ही प्रोड्यूसर बन जाएं। इसके बाद उन्होंने प्रोड्यूसर बनने का फैसला किया।
राकेश ने 1980 में अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी फिल्मक्राफ्ट बनाई। उनकी पहली फिल्म ‘आप के दीवाने’ फ्लॉप रही, लेकिन अगली फिल्म ‘कामचोर’ हिट हुई। उन्होंने ‘भगवान दादा’ (1986) में मुख्य भूमिका निभाई, लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।
1987 में पहली बार डायरेक्टर बने और बनाई ‘खुदगर्ज’
जब प्रोड्यूसर के रूप में कुछ खास सफलता नहीं मिली, तो राकेश रोशन ने डायरेक्टर बनने का सोचा। उन्होंने यह भी ठान लिया कि कभी खुद को अपनी फिल्मों में एक्टर के रूप में नहीं लेंगे।
1987 में राकेश ने डायरेक्शन की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘खुदगर्ज’ के लिए घर, कार और सब कुछ गिरवी रख दिया। ‘खुदगर्ज’ से पहले उन्होंने पत्नी से कहा था – “एक्टर के तौर पर फेल, प्रोड्यूसर के तौर पर फेल… डायरेक्टर के तौर पर यह मेरा आखिरी चांस है, शायद भगवान मेरी सुन लें।” हालांकि, यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई।
इसके बाद उन्होंने ‘खून भरी मांग’ (1988) बनाई। 1990 में उन्होंने ‘किशन कन्हैया’ बनाई। इसके बाद 1992 में ‘खेल’ और 1993 में ‘किंग अंकल’ आई। इन फिल्मों ने भी सफलता पाई।
1995 में राकेश ने ‘करण अर्जुन’ बनाई। सलमान और शाहरुख की यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई।
ऋतिक रोशन को ‘कहो ना प्यार है’ से लॉन्च किया
2000 में राकेश ने अपने बेटे ऋतिक रोशन को लॉन्च किया। फिल्म थी ‘कहो ना… प्यार है’। फिल्म में ऋतिक और अमीषा पटेल लीड रोल में थे। यह फिल्म बड़ी हिट रही। राकेश को इसके लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला।
2003 में राकेश ने ‘कोई… मिल गया’ बनाई। इसके बाद ‘कृष’ (2006) और ‘कृष 3’ (2013) बनी। यह सुपरहीरो फिल्में लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुईं।
राकेश रोशन ने 2008 में ‘क्रेजी 4’, 2010 में ‘काइट्स’ और 2017 में ‘काबिल’ बनाई। ‘क्रेजी 4’ और ‘काइट्स’ एवरेज रहीं, जबकि ‘काबिल’ को मिली-जुली सफलता मिली।
राकेश रोशन का निजी जीवन
राकेश रोशन की शादी पिंकी रोशन से हुई है। करियर की शुरुआत में जब राकेश असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे थे। तब वे पार्टियां भी अरेंज करते थे। इन पार्टियों में बड़े-बड़े एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर आते थे।

राकेश रोशन और पिंकी रोशन की शादी 1970 में हुई थी।
इन्हीं पार्टियों में एक बड़े प्रोड्यूसर जे. ओम प्रकाश की बेटी पिंकी भी आती थी। एक दिन पिंकी को लेकर राकेश रोशन की मां ने कहा था – “अगर बहू लानी है तो पिंकी जैसी।”
इस पर राकेश रोशन ने कहा था – “मां, आप क्या बात कर रही हैं? मैं तो सिर्फ 200 रुपए महीना कमाता हूं।”

राकेश रोशन और पिंकी के दो बच्चे हैं, ऋतिक और सुनैना। ऋतिक बॉलीवुड एक्टर हैं और सुनैना एक राइटर हैं।
जब राकेश को पहली फिल्म मिली, तो 4–5 दिन की शूटिंग के बाद पिंकी के पिता जे. ओमप्रकाश ने उन्हें फोन करके कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूं। इस मुलाकात के दौरान जे. ओमप्रकाश ने उनसे कहा, “मैंने तुम्हें देखा है, तुम बहुत मेहनत से काम करते हो और मैं अपनी बेटी का हाथ तुम्हें देना चाहता हूं।”
यह सुनकर राकेश हक्का-बक्का रह गए। वे दूसरे कमरे में अपनी मां के पास गए और पूछा – “आपने क्या कहा?” मां ने जवाब दिया – “मैंने हां कर दी।” इस पर राकेश बोले – “मैं न पैसे कमा रहा हूं, न कुछ बना हूं और आपने हां कर दी?”
शादी को लेकर पिंकी ने बताया था कि एक दिन कॉलेज से लौटते ही उनकी मां ने बताया – “ हमने तुम्हारी सगाई तय कर दी है।”
पिंकी की हिम्मत यह पूछने की नहीं हुई कि लड़का कौन है, लेकिन जब पता चला कि वह राकेश हैं, तो उन्हें बहुत खुशी हुई। कम से कम वह गुड-लुकिंग तो हैं।
राकेश रोशन पर अंडरवर्ल्ड ने गोली चलाई थी
एक समय राकेश रोशन पर अंडरवर्ल्ड के निशाने पर आ गए थे। 21 जनवरी 2000 को मुंबई के सांताक्रूज में तिलक रोड पर राकेश रोशन पर दो बुडे़श गैंग के सदस्यों ने गोली चलाई।
राकेश जमीन पर गिर पड़े और हमलावर मौके से भाग गए। बाद में आरोपियों की पहचान सुनील विठल गायकवाड़ और सचिन कांबले के रूप में हुई। यह हमला राकेश को मारने के लिए नहीं, बल्कि यह दिखाने के लिए किया गया कि शिवसेना अब अपने क्लाइंट्स की सुरक्षा नहीं कर सकती। राकेश ने अपनी हिट फिल्म ‘कहो ना… प्यार है’ की विदेशी कमाई का हिस्सा देने की बुडे़श की मांग को ठुकरा दिया था।
इस घटना को लेकर सिमी गरेवाल के शो में उन्होंने कहा था कि वह शाम करीब 6 बजकर 10 मिनट पर ऑफिस से निकले। कार में बैठे ही थे कि अचानक विंडस्क्रीन टूटने लगी। पहले तो उन्हें लगा कि किसी ने पत्थर मारा है, लेकिन जब देखा तो सामने दो लोग बंदूक लेकर खड़े थे और गोलियां चला रहे थे।
इसके बाद वह तुरंत झुक गए और ड्राइवर से कार आगे बढ़ाने को कहा। तभी एक हमलावर बाईं ओर से आया और गोली चला दी, जो उन्हें लग गई। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत दिखाई और सबसे पहले घर फोन कर बेटे ऋतिक की सुरक्षा की जानकारी ली।
उस समय उन्होंने ऋतिक को घटना के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया था, सिर्फ इतना कहा था कि कुछ लोगों ने कार पर फायरिंग की है। इसके बाद उन्होंने परिवार के करीबी दोस्तों को सतर्क किया और खुद पुलिस स्टेशन पहुंचे। खून बहने के बावजूद उन्होंने पहले पुलिस को जानकारी दी और फिर अस्पताल गए।

फोटोग्राफर ने ग्रुप फोटो से बाहर किया था
एक बार राकेश अपनी पत्नी पिंकी, ऋषि कपूर, नीतू कपूर, जितेंद्र और उनकी पत्नी शोभा के साथ किसी पार्टी में एक साथ एंट्री ली। वहां फोटोग्राफर ने राकेश और पिंकी को ग्रुप से बाहर कर दिया और कहा – “आप लोग थोड़ा साइड में आ जाइए, हमें इनकी फोटो लेनी है।” उस समय राकेश को बहुत बुरा लगा था।
राकेश रोशन का खंडाला में एक बंगला है, जिसमें ओलिंपिक आकार का स्विमिंग पूल, निजी थिएटर और स्पा जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, उनका बंगला पांच एकड़ के प्लॉट पर फैला हुआ है और 22,400 वर्ग फुट में बसा है, जिसकी कीमत लगभग 120 करोड़ रुपए है।

राकेश रोशन क्यों अपनी फिल्मों का नाम ‘K’ से शुरू करते हैं?
राकेश रोशन ने ANI पॉडकास्ट में बताया था कि उनकी फिल्मों के टाइटल का ‘K’ से शुरू होने का किस्सा एक फैन से जुड़ा है।
उन्होंने बताया था, “कामचोर फिल्म के बाद मैंने ‘जाग उठा इंसान’ नाम की फिल्म अनाउंस की थी। उस समय फैन लेटर्स आते थे। एक फैन ने मुझे लिखा था कि आप अपनी फिल्में ‘K’ से शुरू कीजिए, क्योंकि ‘K’ से शुरू हुई सारी फिल्में हिट रही हैं- जैसे कामचोर, खेल खेल में, खूबसूरत, खट्टा मीठा, खानदान।”
शुरुआत में राकेश ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उन्होंने इसके बाद ‘जाग उठा इंसान’ और ‘भगवान दादा’ बनाई, लेकिन जब खुदगर्ज की कहानी हाथ लगी तो उन्हें लगा कि यह नाम अच्छा रहेगा। फिल्म रिलीज हुई और हिट हो गई।
इसके बाद उसी फैन ने दोबारा लिखकर कहा कि इस बार आपने मेरी बात मानी और फिल्म चल गई। राकेश ने कहा कि यह बात कहीं न कहीं उनके दिमाग में बैठ गई। तभी से उन्होंने अपनी फिल्मों का नाम ‘K’ से शुरू करना तय कर लिया।
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