
इसमें आर्टरी यानी धमनियों में ब्लड का दबाव ज्यादा बना रहता है. धीरे-धीरे यह दिल, दिमाग, किडनी और आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है.

डॉक्टर पवन पोद्दार के अनुसार सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हाई बीपी शुरूआत में कोई लक्षण नहीं दिखाता. इसी वजह से इसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है.

कई लोग सालों तक हाई बीपी के साथ जीते रहते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता. जांच से ही यह बीमारी पकड़ में आती है.

कभी-कभी यह हल्के-फुल्के संकेत भी देता है, जैसे सीने में दर्द, तेज सिरदर्द, धुंधला दिखना, सांस लेने में तकलीफ या उलझन महसूस होना.

अगर बीपी 180/120 mmHg से ऊपर चला जाए तो यह हाइपरटेंसिव क्राइसिस होता है. ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है.

जिन लोगों को ज्यादा खतरा है उनमें ज्यादा नमक खाने वाले, मोटे लोग, तंबाकू-शराब पीने वाले और परिवार में बीपी का हिस्ट्री रखने वाले शामिल हैं.

हाई बीपी से बचने के लिए रोज़ाना 30 मिनट व्यायाम करें, वजन कंट्रोल रखें, नमक कम खाएं और तैलीय-प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं.
Published at : 12 Sep 2025 01:02 PM (IST)