Vidhu Vinod Chopra Birthday Interesting Facts | Amitabh Bachchan Car | विधु चोपड़ा @73, पिता बोले मुंबई में भूखा मर जाएगा: फ्लॉप होने पर सुसाइड के ख्याल आए, फिर ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाकर रचा इतिहास

Vidhu Vinod Chopra Birthday Interesting Facts | Amitabh Bachchan Car | विधु चोपड़ा @73, पिता बोले मुंबई में भूखा मर जाएगा: फ्लॉप होने पर सुसाइड के ख्याल आए, फिर ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाकर रचा इतिहास


12 घंटे पहले

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विधु विनोद चोपड़ा अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध डायरेक्टर बने। पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन विधु ने फिल्म इंडस्ट्री में आने का सपना देखा और पिता की असहमति और थप्पड़ खाने के बावजूद मुंबई आकर अपना करियर शुरू किया। हालांकि, पहली फिल्म ‘सजा ए मौत’ नहीं चली तो सुसाइड के ख्याल आए, लेकिन आज विधु चोपड़ा की गिनती ब्लॉकबस्टर फिल्में देने वाले मेकर के तौर पर होती है।

आज विधु विनोद चोपड़ा अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। आइए जानते हैं उनके करियर और जीवन से जुड़े कुछ खास किस्से..

पिता ने जड़ दिया था झन्नाटेदार थप्पड़

आईएफपी फेस्टिवल के दौरान विधु विनोद चोपड़ा ने बताया था कि उनके पिता नहीं चाहते थे कि वे फिल्म इंडस्ट्री में आएं। विधु विनोद चोपड़ा के पिता डी.एन. चोपड़ा चाहते थे कि वे डॉक्टर बनें।

विधु चोपड़ा ने कहा था- जब मैंने अपने पिता को बताया कि मैं फिल्में बनाना चाहता हूं तो उन्होंने मुझे थप्पड़ जड़ दिया और कहा कि भूखा मर जाएगा। मुंबई में कैसे रहेगा? उनके पास मुझे फिल्म स्कूल भेजने के पैसे नहीं थे।

मैंने खूब मेहनत की। मैंने इकोनॉमिक्स ऑनर्स में कश्मीर यूनिवर्सिटी में टॉप किया, ताकि मुझे भारत सरकार की तरफ से नेशनल स्कॉलरशिप मिले।

250 रुपए की स्कॉलरशिप लेकर FTII आए

विधु विनोद चोपड़ा को 250 रुपए नेशनल स्कॉलरशिप में मिले। उन रुपयों के साथ विधु पुणे स्थित फिल्म इंस्टीट्यूट (FTII) में गए। वहां डिप्लोमा के दौरान विधु ने शॉर्ट फिल्म ‘मर्डर एट मंकी हिल’ बनाई जिसे नेशनल अवॉर्ड मिला था।

उनकी एक डॉक्यूमेंट्री ‘एन एनकाउंटर विद फेसेस’ ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई थी। विधु विनोद चोपड़ा कहते हैं- जब मेरी पहली फिल्म ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई थी, मैंने अपने पिता को फोन किया और बताया कि मेरी फिल्म ऑस्कर में जा रही है। उन्होंने कहा बहुत अच्छी बात है, लेकिन पैसे कितने मिल रहे हैं।

खुदकुशी करने का फैसला कर लिया था

NDTV के साथ बातचीत के दौरान विधु विनोद चोपड़ा ने बताया था कि पहली फीचर फिल्म ‘सजा ए मौत’ ने बहुत अच्छा परफॉर्म नहीं किया था। इस कारण वे निराश हो गए थे। यहां तक कि उन्होंने खुदकुशी करने का फैसला कर लिया था, लेकिन परिवार के लिए उन्होंने अपने कदम पीछे ले लिए थे।

बता दें कि ‘सजा ए मौत’ 1981 में रिलीज हुई थी। जिसमें नसीरुद्दीन शाह ने एक्टिंग की थी। यह फिल्म विधु विनोद चोपड़ा की ही शॉर्ट फिल्म ‘मर्डर एट मंकी हिल’ की रीमेक थी। 20 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म को विधु ने FTII में डिप्लोमा के दौरान 1976 में बनाया था। इस फिल्म में विधु ने खुद एक्टिंग भी की थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा परफॉर्म नहीं किया था।

नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद दुखी थे

‘मर्डर एट मंकी हिल’ को सर्वश्रेष्ठ प्रायोगिक लघु फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। हालांकि, राष्ट्रपति के हाथों नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद विधु दुखी हो गए थे। इतना ही नहीं, लालकृष्ण आडवाणी पर भी गुस्सा हो गए थे। इस बात की चर्चा विधु विनोद चोपड़ा ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान की थी।

विधु ने कहा था- मुझे नेशनल अवॉर्ड के साथ चार हजार रुपए भी मिलने थे। मैं अवॉर्ड लेने दिल्ली के विज्ञान भवन पहुंचा था। नीलम संजीव रेड्डी उस वक्त देश के राष्ट्रपति थे। मुझे उनके हाथों अवॉर्ड मिलना था। स्टेज पर पहुंचकर मैंने महामहिम के हाथों पुरस्कार प्राप्त किया, साथ में एक लिफाफा भी मिला।

हालांकि, उस लिफाफे में पैसे नही थे, बस एक पोस्टल लेटर था, जिसमें लिखा था कि ये पैसे सात साल बाद मिलेंगे। मुझे काफी ताज्जुब हुआ।

लालकृष्ण आडवाणी का पारा हाई हो गया

लालकृष्ण आडवाणी उस वक्त देश के सूचना और प्रसारण मंत्री थे। मैंने उनसे अपनी समस्या बताई। मेरी बात सुनकर उनका पारा हाई हो गया। उन्होंने मुझे अगले दिन शास्त्री भवन बुलाया। मैं अगले दिन सुबह 11 बजे वहां पहुंचा। आडवाणी जी पूरे गुस्से में थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के सामने आपको कैसे व्यवहार रखना है, पता नहीं है। मुझे भी गुस्सा आ गया। मैंने आडवाणी जी से कहा- सर क्या आपने नाश्ता किया है? उन्होंने हां में सिर हिलाया। मैंने कहा- आपने जरूर नाश्ता किया होगा, लेकिन मैंने नहीं किया।

चार हजार रुपए जीवन की पहली कमाई

इन पैसों की मुझे इस कदर जरूरत है कि मैं खाली पेट ही यहां तक आ गया। तब आडवाणी जी शांत हुए, उन्होंने पूछा- क्या खाओगे। मैंने कहा कि पराठे और अंडे खाऊंगा। उन्होंने मेरे लिए खाना ऑर्डर किया। मैंने आडवाणी जी के साथ उनके टेबल पर बैठ कर पराठे और ऑमलेट खाया। इसके बाद मुझे वो चार हजार रुपए भी मिल गए। यह मेरे जीवन की पहली कमाई थी।

ऑस्कर में जाने के लिए पासपोर्ट, वीजा और पैसे नहीं थे

शॉर्ट फिल्म “मर्डर एट मंकी हिल” के बाद विधु विनोद चोपड़ा की एक डॉक्यूमेंट्री ‘एन एनकाउंटर विद फेसेस’ ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई थी। विधु ने बताया था- मुझे अखबार के जरिए पता चला कि मेरी फिल्म ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई है। मेरे पास पासपोर्ट, वीजा और पैसे वगैरह कुछ नहीं थे।

दो-तीन दिन बाद अवॉर्ड्स आयोजित होने थे। मैं फिर लालकृष्ण आडवाणी जी के पास पहुंचा। मैंने उनसे अपनी व्यथा बताई। उन्होंने मुझे बिना पुलिस वेरिफिकेशन के 6 महीने के लिए पासपोर्ट दिलाया, साथ ही रहने-खाने के लिए दिन के 20 डॉलर भी दिलवाए। इसके अलावा एअर इंडिया का एक टिकट भी मुहैया कराया।

इसके बाद अमेरिकी दूतावास में जाकर मैंने वीजा के लिए हाथ-पांव जोड़े। उन्होंने मुझे तीन महीने का वीजा इश्यू किया। इसके बाद मैं अगले दिन अमेरिका के लिए निकल गया। ऑस्कर अवॉर्ड्स के दौरान मेरी मुलाकात गॉडफादर के डायरेक्टर फ्रांसिस फोर्ड कोपोला से हुई। उनके सामने बोलने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। कुछ देर बाद मेरी उनसे बात हुई, वो मुझसे काफी प्रभावित हुए। उन्होंने मुझे अपने साथ काम करने का ऑफर भी दिया।

2000 रुपए बचाने के लिए दुःशासन बने

बहरहाल, ‘सजा ए मौत’ के बाद विधु ने डायरेक्टर कुंदन शाह की फिल्म ‘जाने दो भी यारो’ में प्रोडक्शन कंट्रोलर का काम किया। एक दिन क्लाइमैक्स सीन के दौरान ही महाभारत के एक सीन की शूटिंग भी हो रही थी। तब 500 रुपए में दुःशासन का रोल कर रहे एक्टर ने अचानक से दो हजार रुपए मांग लिए और वो मानने को तैयार नहीं था। उस समय विधु के पास पैसों की कमी थी। विधु खुद ही दुःशासन के गेटअप में सेट पर पहुंच गए थे।

1986 में विधु ने अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी को लेकर ‘खामोश’ बनाई। फिर ‘परिंदा’ और ‘1942 ए लव स्टोरी’ ‘मिशन कश्मीर’ जैसी बेहतरीन फिल्में डायरेक्ट करने के बाद विधु चोपड़ा ने मुन्नाभाई एमबीबीएस, 3 इडियट्स, पीके और संजू जैसी कई ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं। उन्होंने 2020 में शिकारा के साथ 13 साल बाद डायरेक्शन में वापसी की और इसके बाद फिल्म 12th फेल बनाई।

अमिताभ बच्चन को कार गिफ्ट की, तब मां ने जड़ दिया थप्पड़

विधु विनोद चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन को लेकर फिल्म ‘एकलव्य: द रॉयल गार्ड’ भी बनाई थी। जब विधु ने अमिताभ को 4.5 करोड़ रुपए की रोल्स रॉयस कार भेंट की तब उनकी मां ने थप्पड़ मार दिया था। जब विधु चोपड़ा ने अमिताभ को लग्जरी कार गिफ्ट की थी तब वह खुद मारुति से चलते थे।

दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान विधु चोपड़ा ने बताया था- अमिताभ बच्चन ने मेरी पहली फिल्म देखी थी, उस वक्त से ही वो मेरे साथ काम करना चाहते थे। चूंकि वो बहुत बड़े स्टार थे, इसलिए मैं भी उनके साथ काम करना चाहता था।

हालांकि, यह संभव तब हुआ जब मैंने फिल्म ‘एकलव्य’ बनाई। अमिताभ बच्चन ने उस फिल्म में बिना पैसे लिए काम किया। जब वो सेट पर आए तो उनके पास एक छोटा सा ब्रीफकेस था। मैंने पूछा कि एक से डेढ़ महीने का शूट है, इतने कम कपड़ों में कैसे काम चलाएंगे।

अमित जी ने कहा कि जया ने इतने ही कपड़े दिए हैं। उन्हें लगता है कि मैं आपके साथ ज्यादा दिन काम नहीं कर पाऊंगा। जया जी की बात कुछ हद तक सही भी साबित होने वाली थी। मेरा और अमित जी का झगड़ा हो गया। मुझे लगा कि अब अमित जी बिना फिल्म किए ही निकल जाएंगे।

हालांकि, अगले दिन वो सही टाइम पर सेट पर पहुंच गए। उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ फिल्म कम्प्लीट की। मैं उनके लिए कुछ करना चाहता था, इसलिए इतनी महंगी कार गिफ्ट की। जब मेरी मां को यह पता चला तो उन्होंने मुझे कई तमाचे मारे। मां ने कहा कि दूसरों को इतनी महंगी गाड़ियां दे रहा है और खुद एक डिब्बे जैसी कार से चल रहा है। उस वक्त मैं मारुति वैन से चला करता था।

विधु विनोद चोपड़ा ने तीसरी शादी क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा से की है।

विधु विनोद चोपड़ा ने तीसरी शादी क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा से की है।

तीन-तीन शादी कर चुके हैं विधु

विधु विनोद चोपड़ा जितनी चर्चा में अपनी बेहतरीन फिल्मों के लिए रहे हैं, उतनी ही सुर्खियां उन्होंने अपनी पर्सनल लाइफ से भी बटोरी हैं। उन्होंने एक-दो बार नहीं बल्कि तीन बार शादी की है। पहली शादी फिल्म एडिटर रेनू सलूजा से 1976 में हुई थी, लेकिन साल 1983 में दोनों का तलाक हो गया।

रेनू सलूजा से अलग होने के बाद विधु विनोद चोपड़ा की लाइफ में शबनम सुखदेव की एंट्री हुई। दोनों साल 1985 में विवाह बंधन में बंधे थे, लेकिन ये रिश्ता भी लंबा नहीं चला और 1989 में दोनों अलग हो गए। फिर विधु ने तीसरी शादी अनुपमा चोपड़ा से 1990 में की।

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